शरीर में बढ़ रहे दर्द के मामले, सबसे बड़े गुनहगार लैपटॉप और मोबाइल; तीन तरह के ब्रेक आपकी मदद कर सकते हैं

जेफ विल्सर. कोरोनावायरस से पहले हमारे काम का तरीका अलग होता था। हम कुर्सी पर बैठते थे और सही तरीके से मॉनीटर स्क्रीन को एडजस्ट करते थे और काम शुरू करते थे। अब समय बदल गया है, हम करीब 6 महीने से घर से ही काम कर रहे हैं। टेबल, कुर्सी की जगह अब काउच और बिस्तर ने ले ली है। इसी आराम के कारण हम चोटों का भी शिकार हो रहे हैं। अमेरिकन काइरोप्रैक्टिस एसोसिएशन के फेसबुक सर्वे के अनुसार, 213 में से 92% काइरोप्रैक्टर्स ने बताया था कि स्टे एट होम ऑर्डर के बाद गर्दन, कमर दर्द या दूसरे शारीरिक दर्द के मरीज बढ़े हैं।
कैसे हुई शुरुआत
मार्च मे लोगों को लगा कि उन्हें कुछ ही हफ्तों के लिए घर से काम करना होगा। ऐसे में काउच पर काम करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। शुरुआत में उन्हें थोड़ असहज महसूस हुआ, लेकिन यह दर्द बाद में और बढ़ता गया। स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में ऑर्थो पैडिक सर्जरी के प्रोफेसर डॉक्टर माइकल फ्रेड्रिक्सन ने कहा कि यह आमतौर पर एक "ओवरयूज इंजरी" है, जो बार-बार लगी चोट के कारण बढ़ी है।
आइए इसके कारण जानते हैं
- सबसे बड़े गुनहगार लैपटॉप होते हैं। इसमें आप स्क्रीन देखने के लिए नीचे देखने को मजबूर हैं या टाइप करने के लिए हाथ उठाने को। दोनों ही तरीके गलत हैं। काइरोप्रैक्टर डॉक्टर केरन एरिक्सन का कहना है कि इस तरह की पोजिशन हमारे डिस्क और स्पाइन के जोड़ पर बहुत दबाव डालती है। इसके साथ ही गर्दन की नसें असंतुलित हो जाती हैं।
- इसके बाद आती है कुर्सी। जब हम अपने किचन के स्टूल या सोफा को डेस्क की कुर्सी बना लेते हैं, तो कई बार वे गलत ऊंचाई की होती हैं। हम में से कई लोगों ने केवल काम करने की जगह ही नहीं बदली है, बल्कि काम का तरीका भी बदल लिया है। अब हम मीटिंग के लिए हॉल में चलकर नहीं जाते। अब हम केवल एक जगह बैठे रहते हैं।
सक्रिय नहीं रहने कारण लग रही चोटें
ऑरीगॉन के काइरोप्रैक्टर हीडी हेंसन ने कहा "शरीर को चलने की जरूरत होती है।" उन्होंने कहा कि महामारी के कारण कम हुई मूवमेंट इन दर्द और चोटों का कारण है। "भले ही आपके पास सही एर्गोनॉमिक्स है, लेकिन अगर आप एक ही पोजीशन में लंबे समय तक बैठे हैं तो आपका शरीर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं देगा।"
स्क्रीन टाइम बढ़ा तो शरीर में आई सुस्ती, युवाओं को ज्यादा परेशानी
- फोन पर स्क्रीन टाइम बढ़ने से ज्यादा सक्रिय नहीं हो रहे हैं। डॉक्टर एरिक्सन ने कहा "सेलफोन इसका बड़ा कारण हैं।" उन्होंने समझाया कि फोन को देखने के लिए हम गर्दन को नीचे झुके लेते हैं। वे फोन को आंखों के बराबर रखकर चलाने की सलाह देती हैं। कॉलेज छात्र, टीनएजर्स और छोटे बच्चों को जोखिम ज्यादा है।
- डॉक्टर हेंसन का कहना है "टीनएजर्स के फोन की स्क्रीन पर होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में हमने उनसे जिम, स्पोर्ट्स सबकुछ छीन लिया है, जो सक्रिय रहने के लिहाज से बेहतर होते हैं।" डॉक्टर एरिक्सन इस बात पर सहमति जताती हैं कि "कॉलेज के बच्चे जोखिम में हैं।" खासतौर से गर्दन में तनाव, कंधे के दर्द और सिरदर्द की।
इससे बचने के उपाय बेहद आसान हैं
- लैपटॉप यूजर्स नया एक्सटर्नल यानी अलग से कीबोर्ड और माउस खरीद सकते हैं। लैपटॉप को आंखों के स्तर तक थोड़ी ऊंचाई पर रखें। अगर आपकी कुर्सी ज्यादा ऊंची है और आपके पैर जमीन पर आराम नहीं कर पा रहे हैं तो एक छोटे स्टूल का इस्तेमाल करें। इसके अलावा ब्रेक आपकी परेशानी को हल कर सकता है।
- ज्यादा ब्रेक लें और शरीर को सक्रिय रखें। ऑक्यूपेशनल हेल्थ पर अमेरिकन काइरोप्रैक्टिस एसोसिएशन काउंसिल के अध्यक्ष स्कॉट बुच हर 15 से 30 मिनट में एक टाइमर लगाने की सलाह देते हैं, जो आपको शरीर को चलाने की याद दिलाएगा। इसके अलावा वे तीन अलग-अलग तरह के ब्रेक लेने की सलाह देते हैं।
- माइक्रोब्रेक्स: लगातार 5 सेकंड के छोटे ब्रेक्स जिसमें आप अपना पॉश्चर दूसरी दिशा में बदलेंगे।
- मैक्रोब्रेक: यह 3 से 5 मिनट के ब्रेक होते हैं, जिसमें आप गहरी सांस लेंगे और कंधों को स्ट्रेच करेंगे।
- बिग वर्कआउट: कम से कम 30 मिनट तक चलने वाले इस ब्रेक में आप एक्सरसाइज करेंगे। हो सके तो एक बार बाइक चला लें।
हमें केवल रिलेक्स रहना है
डॉक्टर फ्रेड्रिक्सन ने कहा कि तनाव हमारे चोट लगने के जोखिम को बढ़ा देता है। हमें ऐसा काम करना चाहिए, जिससे हम रिलेक्स रह सकें। उन्होंने कहा "यह बेहद ही आसान है। उठो और एक बार टहल कर आओ।"
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