O+ ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना संक्रमण का खतरा कम, सबसे ज्यादा कारगर नहीं है वैक्सीन, जानिए कोरोना से जुड़ी ऐसी ही चौंकाने वाली रिसर्च के बारे में

कोविड-19 के इलाज को लेकर दुनिया भर में हो रही रिसर्च में वैज्ञानिक अलग-अलग तरह के दावे कर रहे हैं। इनमें से कई दावे बहुत चौंकाने वाले हैं। ऐसी ही एक रिसर्च ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने हाल में की है। जिसमें एक विशेष ब्लड ग्रुप में कोरोना संक्रमण का खतरा कम होने की बात सामने आई है। वहीं अमेरिका की शीर्ष रिसर्च संस्था सीडीसी के निदेशक ने भी कोरोना से बचने के लिए मास्क को वैक्सीन से भी ज्यादा प्रभावी बताया है। जानिए कोरोना को लेकर हुऐ ऐसी ही 3 चौंकाने वाली रिसर्च के बारे में।
O+ ब्लड ग्रुप वालों को कम होता है कोरोना संक्रमण
ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 लाख लोगों के डीएनए पर एक रिसर्च हुई है। उन्होंने वैज्ञानिकों ने पाया कि O+ ब्लड ग्रुप वालों पर वायरस का असर कम होता है। इससे पहले हार्वर्ड से भी रिपोर्ट आयी थी, लेकिन उसमें कहा गया था कि O+ वाले लोग कोरोना पॉजिटिव कम हैं, लेकिन सीवियरिटी और डेथ रेट में बाकियों की तुलना में कोई फर्क नहीं है। कई अन्य देशों में भी इस पर रिसर्च जारी है।
यंग लोगों के हार्ट पर भी कोरोना का असर
अब तक यही माना जाता रहा है कि कोरोना वायरस सबसे ज्यादा फेफड़े को प्रभावित करता है। लेकिन, हालिया रिसर्च में सामने आया है कि ये वायरस हार्ट को भी प्रभावित करता है। यंग लोगों की मृत्यु तभी होती है जब उनके हार्ट पर वायरस का असर ज्यादा होता है। उन्हें सांस लेने में ज्यादा परेशानी होती है। कोविड-19 से संक्रमित मरीज जब ठीक हो जाते हैं तो उसके बाद भी उनके हार्ट में कुछ समस्या आ सकती है। हृदय पर असर कोरोना के दौरान या फिर बाद में भी हो सकता है।
वैक्सीन से 70% और मास्क से 80-85% तक सुरक्षा
जब तक कोरोना की दवा नहीं आती, तब तक लोगों को मास्क का प्रयोग करने की सालाह दी जा रही है। मास्क को ही लेकर सीडीसी, अमेरिका के निदेशक ने कहा कि मास्क वैक्सीन से भी ज्यादा प्रभावी। अमेरिका के सीडीसी के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने यह बात पूरी दुनिया में मास्क पर हुए बहुत सारे अध्ययनों के आधार पर कही है। अगर दो लोग आमने--सामने बैठे हुए हैं और मास्क लगाए हैं, सुरक्षित दूरी बनाए हैं, तो सुरक्षा कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन जरूरी है कि मास्क सही से लगाया हो, मुंह और नाक अच्छी तरह से ढका हुआ है। वैक्सीन की बात करें तो उन पर कई ट्रायल चल रहे हैं। वायरस से प्रोटेक्शन के लिये एंटीबॉडी होते हैं, जो वैक्सीन देने के बाद लोगों के शरीर में करीब 70 प्रतिशत ही बन पाते हैं, जबकि मास्क से 80-85 प्रतिशत तक सुरक्षा मिलती है।
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