पेरेंट्स चुनावों को लेकर बच्चों से खुलकर बात करें, जानिए राजनीतिक विचार कैसे साझा करें

मिलिंडा वेनर मोयर. भारत चुनावों का देश है। देश में इलेक्शन, बाई-इलेक्शन या री-इलेक्शन की शक्ल में लोकल बॉडी से लेकर विधानसभा तक के चुनाव कहीं न कहीं होते ही रहते हैं। फिलहाल बिहार में विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में है। मध्य प्रदेश में उपचुनावों के नतीजे आने वाले हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ रहे हैं।
ऐसे में आप जिसे सपोर्ट कर रहे होते हैं, यदि वो हार जाता है तो बहुत से पेरेंट्स तनाव में आ जाते हैं। इस सबके बीच पेरेंट्स अपने बच्चों से चुनाव और नतीजों के बारे में कैसे बात करें? बातचीत में किन बातों का ध्यान रखें, ताकि बच्चे आपके तनाव का असर न हो।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चुनाव के दौरान आम लोगों में एक तरह का तनाव होता है, लेकिन बच्चों के साथ पेरेंट्स को चुनावों को लेकर बात करने में झिझक नहीं होनी चाहिए। इससे खुद का तनाव भी कम होगा और बच्चों को भी एक नजरिया मिलेगा। राजनीति और चुनावी प्रक्रियाओं और उसके महत्व को लेकर उनकी समझ बढ़ेगी।
बच्चों के साथ अपने पॉलिटिकल विचार कैसे साझा करें?
- वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर नैन्सी एल डियूटेक कहती हैं कि अपने बच्चों के साथ चुनाव, उसके पहलुओं और प्रक्रियाओं को लेकर बात करने में कोई नुकसान नहीं है। अगर आप बच्चे को यह भी बता रहे हैं कि आपका पसंदीदा कैंडिडेट कौन है? आप उसे क्यों पसंद करते हैं तो जरूर बताइए। आप उस कैंडिडेट या पार्टी की सोच, विचारधारा, पॉलिसी के बारे में भी चर्चा कर सकते हैं। बस ध्यान रखें कि भारी-भरकम शब्दों के इस्तेमाल से बचें।
- अगर बच्चे आपसे यह पूछते हैं कि आप दूसरे कैंडिडेट को क्यों नहीं पसंद करते तो आप उन्हें उदाहरण देकर समझा सकते हैं। आप बच्चों को यह भी बता सकते हैं कि उस कैंडिडेट या उस पार्टी ने तमाम सोशल और इकॉनामिकल मुद्दों पर कैसा काम किया है और आप उससे संतुष्ट क्यों नहीं हैं। आप यह भी बता सकते हैं कि आपके लिए ईमानदारी, नैतिकता और सम्मान बहुत जरूरी है, जिसपर वह कैंडिडेट या पार्टी खरा नहीं उतरी। इसलिए आप उसे वोट नहीं करने वाले हैं।
बच्चों की पॉलिटिक्स में गहरी रूचि होती है
- अगर आप यह सोच कर बच्चों से पॉलिटिक्स के बारे में कोई बात नहीं करते कि उन्हें इसमें रुचि नहीं है, तो आप गलत हैं। कुछ सर्वे में जो बात सामने आई है, वह इसके बिल्कुल उलट है।
- 2019 में मोनोग्राफ्स जर्नल ने 187 बच्चों पर एक सर्वे किया। इसमें पाया गया कि 58% बच्चे राजनीति और चुनावों के बारे में गहरी रूचि रखते हैं, जबकि 23% बच्चे थोड़ी-बहुत रूचि रखते हैं।
- सर्वे में 68% बच्चों ने बताया कि उनके पेरेंट्स उनसे चुनावों और राजनीति के बारे में या तो बात ही नहीं करते या बहुत कम बात करे हैं। सिर्फ 18% बच्चों ने यह बताया कि उनके पेरेंट्स उनसे पॉलिटिक्स बारे में खूब बातें करते हैं।
लेक्चर नहीं बच्चों का साथ देने की जरूरत
- केंटूकी यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजिस्ट क्रिस्टिया ब्राउन कहती हैं कि बहुत सारे कठिन मामलों को समझने में पेरेंट्स को बच्चों की मदद करनी चाहिए। उनमें इंट्रेस्ट तो है, लेकिन जानकारी का अभाव है। पेरेंट्स इस कमी को पूरा कर सकते हैं।
- जानकारी के तलाश में कुछ गलत जानकारी या दुष्प्रचार भी बच्चों के हाथ लग सकता है। इसलिए पेरेंट्स के तौर पर आप उनसे बातें करें और उनकी जानकारियों को सही करें। जब आप ऐसा कर रहे होते हैं तो आप अपने बच्चों की जानकारी ही नहीं बढ़ा रहे होते हैं, बल्कि उनको एक आलोचनात्मक नजरिया भी दे रहे होते हैं।
- इसके लिए आपको रोज बच्चे को राजनीति पर फॉर्मल लेक्चर देने की जरूरत नहीं है। आप उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि वे हर चीज के बारे में जानकारी इकट्ठा करें, अगर उनका कोई सवाल होगा तो आप उसके लिए हमेशा उपलब्ध हैं।
बच्चों को अच्छे न्यूज सोर्स के बारे में बताएं
- आजकल दुष्प्रचार यानी फेक न्यूज का जमाना है, इसलिए बच्चों को मॉनिटर करते रहें कि वे अपनी जानकारी कहां से जुटा रहे हैं। आप उन्हें विश्वसनीय न्यूज सोर्स की सलाह दें। उन्हें बताएं कि अलग-अलग चीजों को जानने के लिए किस न्यूज सोर्स को फॉलो करना सही रहेगा। अच्छी वेबसाइट, न्यूज पेपर और न्यूज चैनलों की जानकारी दें।
- आजकल राजनीति और चुनावों से जुड़ी वेब सीरीज और फिल्में भी उपलब्ध हैं। आप उन्हें उनमें से कुछ सजेस्ट सकते हैं। इससे उनकी पॉलिटिकल समझ बढ़ेगी।
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