रिटायरमेंट प्लानिंग नहीं परिवार की वित्तीय सुरक्षा है लोगों की पहली प्राथमिकता, अब बचत से ज्यादा खर्च कर रहे भारतीय

हमारे देश में ज्यादातर लोग रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर जागरूक नहीं है। रिटायरमेंट प्लानिंग लोगों की प्राथमिकता में नीचे है, जबकि बच्चों और पति या पत्नी की वित्तीय सुरक्षा और यहां तक कि फिटनेस एवं लाइफस्टाइल इससे ऊपरी पायदान पर हैं। ये बात PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के सर्वे में सामने आई है। इस सर्वे का काम नीलसन को सौंपा गया था। ये सर्वे लोगों का रिटायरमेंट के प्रति नजरिया जानने के लिए कराया गया था।
बचत नहीं खर्चा करने पर दे रहे ध्यान
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के रिटायरमेंट सर्वे में सामने आया है कि अब यह धारणा पुरानी हो चुकी है कि भारत बचत करने वालों का देश है। होम लोन, अनसिक्योर्ड लोन और क्रेडिट कार्ड की बढ़ती संख्या से यह पता चलता है कि भारतीय अब बचत और निवेश कम कर रहे हैं, और अब बचत या भविष्य की प्लानिंग करने की जगह मौजूदा खर्चों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
आमदनी का 59% मौजूदा खर्चों पर लगा रहे लोग
आज शहरी भारतीय कम बचत और निवेश कर रहे हैं, वे अपनी आमदनी का करीब 59% मौजूदा खर्चों पर लगा रहे हैं। कम बचत को देखते हुए भारतीयों में अपने भविष्य को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। सर्वे में शामिल 51% लोगों ने अपनी रिटायरमेंट के लिए कोई वित्तीय योजना नहीं बनाई है। 89% ऐसे भारतीय जिन्होंने रिटायरमेंट की कोई तैयारी नहीं की है, उनके पास आय का कोई वैकल्पिक साधन भी नहीं है।
लोगों को नहीं पता कितना होना चाहिए रिटायरमेंट फंड
हर 5 भारतीय में से महज 1 ही रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय महंगाई पर विचार करता है। सर्वे में शामिल 41% लोगों ने कहा कि रिटायरमेंट के लिए निवेश में उन्होंने जीवन बीमा पर जोर दिया है, जबकि 37% ने सावधि जमा योजनाओं यानी एफडी को प्राथमिकता दी है। 48% प्रतिभागियों को यह अंदाजा नहीं था कि रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए उन्हें कितनी रकम चाहिए होगी। सर्वे में शामिल 48% वे लोग जिन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि कितनी रकम चाहिए, उनमें से 69% ने कोई रिटायरमेंट प्लान नहीं किया। इसके विपरीत जिन 52% लोगों में इसे लेकर जागरूकता थी कि उन्हें रिटायरमेंट के बाद जीवन के लिए कितनी रकम चाहिए होगी, उनमें से सिर्फ 66% लोगों के पास रिटायरमेंट की प्लानिंग थी।
50 लाख का फंड तैयार करना है लक्ष्य
औसतन देखें तो शहरी भारतीयों का करीब 50 लाख रुपए का फंड तैयार करने का लक्ष्य होता है। हमारे सर्वे में शामिल लोगों की औसत सालाना आय करीब 5.72 लाख रुपए और औसत आयु 44 साल थी। इन प्रतिभागियों का यह मानना है कि उन्हें रिटायरमेंट के लिए करीब 50 लाख रुपए के फंड की जरूरत होगी यानी उनके मौजूदा सालाना आमदनी का करीब 8.8 गुना।
सर्वे की मुख्य बातें
- स्थायी रोजगार और 60 की उम्र तक रिटायर होने का परंपरागत मॉडल लगातार पुराना पड़ता जा रहा है।
- अब सपने पूरे करने और बेहतर जीवन जीने पर जोर दिया जा रहा है।
- लोग अच्छे नतीजों और अनजाने अवसरों की प्लानिंग कर रहे हैं, न कि बुरे नतीजों या रिटायरमेंट जैसे ज्ञात अवसरों के लिए।
- संयुक्त परिवारों का टूटना, आमदनी के वैकल्पिक स्रोतों की मौजूदगी या उनका न होना, बुढ़ापे में बच्चों पर निर्भर हो जाने की आशंका रिटायरमेंट के प्रति लोगों के रवैये में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- संयुक्त परिवार में रहने वाले भारतीय वित्तीय रूप से ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं और इसे अब भी रिटायरमेंट के लिए एक महत्वपूर्ण आधार व्यवस्था मानी जाती है।
- ज्यादातर भारतीयों के पास कोई ‘रिटायरमेंट फंड‘ नहीं है-इसकी या तो वजह यह है कि उन्होंने अभी तक रिटायरमेंट प्लानिंग नहीं शुरू की है, या उनके पास इतना फंड या निवेश होता है जिसका वे भविष्य में रिटायरमेंट के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, अगर कोई अन्य बहुत खराब हालात पैदा नहीं होते तो
- जिन लोगों ने रिटायरमेंट की प्लानिंग की है उनमें से 51% ऐसे लोग हैं जिनके पास कोई न कोई वैकल्पिक आय होती है।
- लोग रिटायरमेंट से ज्यादा प्राथमिकता बच्चों और पति या पत्नी की आय सुरक्षा और यहां तक कि फिटनेस और लाइफस्टाइल को देते हैं।
- निजी क्षेत्र के केवल 46% कर्मचारियों ने यह माना कि उनके नियोक्ताओं ने उन्हें रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए प्रेरित किया है।
- 65% भारतीय यह मानते हैं कि नियोक्ता अगर रिटायरमेंट प्लानिंग की सलाह दे तो संस्थान के प्रति उनकी निष्ठा और बढ़ेगी।
लोगों में जागरूकता का आभाव
इस सर्वे से यह भी पता चलता है कि जिन लोगों ने रिटायरमेंट प्लानिंग की है उनमें भी इस बारे में जागरूकता का अभाव है कि सही फाइनेंशियल प्लानिंग किस तरह से होनी चाहिए। इसी तरह इस सर्वे से यह खुलासा होता है कि भारतीय लोग अपने नियोक्ताओं और वित्तीय सलाहकारों से बेहतर गुणवत्ता वाली सलाह चाहते हैं और वे ऐसे उत्पादों की तलाश में रहते हैं जिसमें उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने और वित्तीय स्थिरता के बीच संतुलन हो।
भारतीय अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं लेकिन जागरूक नहीं
वैसे तो रिटायरमेंट प्राथमिकता नहीं है, फिर भी भारतीय अपने भविष्य को लेकर ज्यादा परेशान हैं और भविष्य में अपने बढ़ते खर्चों, स्वास्थ्य संबंधी मसलों तथा परिवार से सहयोग न मिलने को लेकर उन्हें चिंता है। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि संयुक्त परिवारों का टूटना, आय के वैकल्पिक स्रोतों का होना या न होना और बुढ़ापे में बच्चों पर निर्भर रहने की आशंका जैसे तत्व लोगों के रिटायरमेंट के प्रति रवैये में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
15 शहरों में किया सर्वे
कुल 15 शहरों में किए गए इस सर्वे में कुछ खास सवालों पर जोर दिया गया, जैसे भारतीय लोग कब रिटायरमेंट की प्लानिंग करते हैं और इसकी संभावित वजहें क्या होती हैं? वे किस तरह के वित्तीय साधनों का इस्तेमाल करते हैं? क्या जागरूकता का अभाव रिटायरमेंट प्लानिंग को कमजोर कर देता है? क्या भारतीय लोग रिटायरमेंट प्लानिंग पर ज्यादा जानकारी के लिए उत्सुक हैं? और उनमें इस तरह की जागरूकता बढ़ाने के लिए नियोक्ता किस तरह से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं?
रिटायरमेंट फंड तैयार करना हमारी जिम्मेदारी
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ अजीत मेनन ने कहा, “आज की दुनिया में अगर आपको सिर्फ एक वित्तीय लक्ष्य के लिए लोन नहीं मिल सकता, तो वह है रिटायरमेंट। इसीलिए हम सबके ऊपर खुद ही यह जिम्मेदारी आ जाती है कि इसके लिए आप हर तरह से तैयार रहें। अगले सालों में वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ने वाली संख्या को देखते हुए हमने इस बात पर अध्ययन की जरूरत महसूस की कि रिटायरमेंट बचत के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया क्या होती है और लोगों में इस वित्तीय लक्ष्य प्रति कितनी जागरूकता है?
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
No comments
Thanks For Giving Us Feedback !!